सच्चा राजा की कहानी यह कहानी आपको सोचने पर मजबूर कर देगा
मेरे प्यारे दोस्तों आज में आपको सच्चा राजा की कहानी सुना ने जा रहा हूँ! बहुत मज़ा आने वाला है तो पूरा जरूर पढ़िये तो चलिए शुरू से शुरू करते हैं!
कंचन वन में शेर सिंह का राज समाप्त हो चुका था। पर वहां बिना राजा के स्थिति ऐसी हो गई थी जैसे जंगल राज हो। जिसकी जो मर्जी वह कर रहा था। वन में अशांति और गंदगी इतनी फैल गई कि वहां जानवरों का रहना मुश्किल हो गया। को जानवर शेर सिंह को याद कर रहे थे। जब तक शेर सिंह ने राज पाठ संभाल ।
सारे वन में कितनी शांति और एकता थी। अब अगर ऐसे ही चला रहा तो एक दिन यह वन ही समाप्त हो जाएगा और हम सब जानवर बेघर होकर मारे जायेंगे। गोलू भालू बोला कोई ना कोई उपाय तो करना ही होगा क्यों ना हम सहमति से अपना कोई राजा चुन ले जो शेर सिंह की तरह हमें पुनः एक जंजीर में बढ़े और वन में एक बार फिर से अमन शांति के स्वर गूंज उठे। सभी गोलू भालू की बात से संतुष्ट हो गए। पर समस्या यह थी कि राजा किसे बनाया जाए सभी जानवर स्वयं को दूसरे से बड़ा बता रहे थे।
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सोनू मोर बोला क्यों ना एक पखवाड़े तक सभी को कुछ ना कुछ काम दे दिया जाए जो अपने काम को सबसे अच्छे ढंग से करेगा उसी को राजा बना दिया जाएगा सभी सहमत हो गए और फिर सभी जानवरों को उनकी योग्यता के आधार पर काम दे दिया गया बीपी लोमड़ी को मिट्टी हटाने का काम दिया गया तो भालू बंदर को पेड़ों पर लगे जेल हटाने का। सोनू हाथी को पत्थर उठाकर गड्ढे में डालने का काम सोपा गया और मोनू खरगोश को घास की सफाई की जिम्मेदारी दी गई जब एक पखवाड़ा बीत गया तो सभी जानवर अपने-अपने कार्यों का बुरा लेकर एक मैदान में एकत्र हुए। सभी जानवरों ने अपना काम बड़ी सफाई और मेहनत से पूरा किया था। सिर्फ सोनू हाथी जिसने एक भी पत्थर गड्ढे में नहीं डाला था अब समस्या फिर खड़ी हो गई कि आखिर किसके काम को सबसे अच्छा माना जाए बुद्धिमान मानो खरगोश ने युक्ति सुझाई।
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क्यों ना मत कर लिया जाए जिसे जिसे सबसे ज्यादा वोट मिलेंगे उसे ही राजा चंगे। अगले दिन सुबह-सुबह चुनाव रख लिया गया और एक बड़े मैदान में सभी पशु पक्षी अपना मत देने के लिए उपस्थित हो गए मतदान समाप्त होने के बाद मतों को गिरने का काम शुरू हुआ। यह क्या। सोनू हाथी गिनती में सबसे आगे चल रहा था और जब मतों की गिनती समाप्त हो गई तो सोनू हाथी सबसे ज्यादा मतों से विजय हो गया। सोनू जानवर एक दूसरे को मुंह तक रहे थे।
तभी पक्षीराज गरुड़ वहां उपस्थित हुए और उपस्थित जानवरों का संबोधित करते हुए बोले सोनू हाथी प्रतिदिन पत्थर लेकर गड्ढे तक जाता था किंतु जब उसने देखा कि उसे गड्ढे में मेरे अंडे रखे है तो वह पत्थरों को उसमें ना डालकर पास ही जमीन पर एकत्रित करता रहा सोनू ने अपने राजा बनने बनने का लालच छोड़कर एक जीव को बचाना ज्यादा उपयोगी समझा। उसकी इस सूझबूझ हुआ परोपकार की भावना को देखकर हम पक्षियों ने तय किया कि जो अपने लालच को छोड़कर दूसरे की सुख दुख का ध्यान रखें वही सच्चे और अच्छे तौर पर राजा बनने का अधिकारी है। और चुकी वन में पक्षियों की संख्या पशुओं से अधिक थी इसलिए सोनू हाथी चुनाव जीत गया।
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