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माउंट एकांकगुआ पर चढ़ने वाली सबसे कम उम्र की पर्वतारोही

माउंट एकांकगुआ

सभी बच्चे जीवन में बड़ी उपलब्धियां हासिल करना चाहते हैं जीवन में कामयाबी पाने के लिए बहुत कड़ी मेहनत की आवश्यकता है बचपन से ही कड़ी मेहनत को जीवन आधार बना लिया जाए तो कम उम्र से ही सफलता मिलने लगती है सातवीं कक्षा की छात्रा काम्या कृतिकेयेन ने अपने कार्य एवं मेहनत से यह साबित कर दिया कि असंभव को भी संभव बनाया जा सकता है इन्होंने एशिया के बाहर की सबसे ऊंची चोटी माउंट एकांकगुआ पर तिरंगा फहराकर जीत हासिल की है|

माउंट एकांकगुआ पर चढ़ने वाली

माउंट एकांक गुआ दक्षिण अमेरिका के अर्जेंटीना में स्थित एंडीज पर्वतमाला की 6962 मी ऊंची चोटी है कृतियां मुंबई के नेवी चिल्ड्रन स्कूल की छात्रा है इस चोटी पर चढ़कर वह ऐसा करने वाली दुनिया का सबसे कम उम्र की लड़की बन गई है काम्या ने मा जी 3 साल की उम्र

ट्रैकिंग शुरू की थी जब वह 9 साल की हुई तो उन्होंने अपने माता-पिता के साथ हिमालय की कई चोटियों पर चढ़ाई शुरू की थी|

माउंट एकांकगुआ

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इन्होंने उत्तराखंड का सुपकुंड में भी शामिल हुई 1 साल बाद में नेपाल में एवरेस्ट बेस कैंप पहुंची उन्होंने 24 अगस्त 2019 को लद्दाख में 6260 मीटर ऊंची में मातंग कांगड़ी पर भी चढ़ाई पुरी की थी ऐसा करने वाली वे सबसे कम उम्र की पर्वतारोही थी ट्रैकिंग एवं पर्वतारोहण करने के लिए शारीरिक एवं मानसिक रूप से मजबूत होना होता है इसके लिए कड़े व्यायाम एवं उपयुक्त भोजन को दिनचर्या में शामिल करना जरूरी होता है इसके अलावा नियमित अभ्यास प्रयास भी करना पड़ता है प्रयास करने से ही पर्वत रोहन में अनेक मुश्किल पड़ावों को पार किया जाता है|

उनके परिवार में उनकी रुचि में उनका पूरा साथ दिया बच्चों की सफलता में परिवार का योगदान बहुत जरूरी होता है परिवार एवं शिक्षकों के मार्गदर्शन से बच्चे सफलता की नहीं आई भारत लिख सकते हैं और देश का नाम रोशन कर सकते हैं जब रुचि जुनून बन जाती है तो उसे समय विपरीत परिस्थितियों भी मार्ग की अवसर उत्पन्न करने का माध्यम बन जाती है इसलिए आप कभी भी इस बात से ना घबराए की मुश्किल डगर पर आप कैसे बढ़ेंगे आप आगे कदम बढ़ाना शुरू कीजिए मुश्किल डगर आसान हो जाएगी| और आपको विजय के शिखर पर पहुंचाएगी।

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